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आँखों ने ख्वाब सजाया है

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  पोस्ट संख्या -53 बहारों ने फूल बिछाया है आँखों ने ख्वाब सजाया है नर्म बिछी फूलों की चादर धरती को सीस झुकाया है कण-कण बिखरा दर्द समेटा कुदरत से प्रेम सिखाया है फूल कली बिन अपूर्ण आंगन मानव मन को समझाया है रिश्तों को न तोलो धन से धन ने दोस्त छुड़वाया है। फूल न तोड़ें, खुशबू बाँटे "पूर्णिमा"जग को बताया है। डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब