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Showing posts from August, 2025

ए-वतन ,तेरे लिये! स्वतंत्रता दिवस विशेष

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  यूँ तो हम ,कुछ न कर सके ,ए-वतन ,तेरे लिये! वीर भावना से ,सजे कलम, जब तक चले!! (स्वतंत्रता दिवस विशेष:डॉ.पूर्णिमा राय) अपनी राष्ट्रभक्ति, देश-प्रेम ,आत्मविश्वास, जोश ,वीर जज्बे एवं सुदृढ़ निश्चय से मंजिलों को जीतने वाले एवं अपना आप न्योछावर करने वाली वीर आत्माओं के पद चिह्नों पर चलने से कोई किसी को रोक नहीं सकता।कुछ ऐसे वीर योद्धा हुये जो चाहे आज दुनिया में नहीं हैं पर उनको किसी न किसी रूप में सदैव स्मरण किया जाता है और किया जाता रहेगा।  देश-प्रेम से दब सके,देश-द्रोह अंगार । सुप्त चेतना में भरें,मिलकर हम सब प्यार।। कहते हैं वीरता एवं साहस का अहसास खून में होता है ,काफी हद तक उचित भी है पर इससे अधिक आवश्यक है कि इस वीरता एवं जोश को बाहर निकाला जाये।मानव के भीतर साहसी प्रवृति किसी में अधिक और किसी में कम होती है ।युवाओं में खून गर्म होता है ,आम कहते सुना जाता है।उनकी शक्ति को सही दिशा दी जाये तो वह देश समाज के हित में लाभदायक होगी और अगर उनकी हिम्मत एवं शक्ति का सदुपयोग न हुआ तो वह समाज और देश का तो छोड़ो ,खुद का ही विनाश कर बैठते हैं।कोई अपनी शारीरिक बल से ,कोई बौद्धिक एवं...

उजाले की चाह

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  उजाले की चाह पोस्ट संख्या -67 उजाले की चाह में जिंदगी न गुज़र जाये कहीं , सीख लेना हुनर उजाले बाँटने का!! ग़म के अंधेरे न छोड़ेंगे पीछा कभी, सीख लेना दिल लगाना गम की परछाइयों से!! मेरी किस्मत में जो लिखा मिलेगा मुझे इसी जन्म में, सीख लेना शामिल होना ग़ैरों के दु:ख-दर्द में !! जी रहें हैं हम वर्तमान में मगर डूबे हैं बीते वक्त की सोच में , सीख लेना बाहर निकलना गफलत की नींदर से !! जामा पहना है मानव का क्षणभंगुर होगी देह भी एक दिन, सीख जाना "पूर्णिमा " रूह से मुस्कुराना!! डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब 13/8/25

शिक्षा धन महादान है

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  शिक्षा धन महादान है( कविता) पोस्ट संख्या -66 कैसे यह हालात हैं। खाली सबके हाथ हैं।। यह है मेरा वे सब तेरा अपनों के जज़्बात हैं।। चहुँ ओर है मेरा-मेरी । थोड़ी बहुत हेरा-फेरी।। गुरु घर की जो टेर करे, मेहर होती उस पर तेरी।। पुण्य-कर्म कमाये जो । जीवन सफल बनाये वो।। मेहनत से पीछे ना हटता, जीते जी यश पाये सो ।। "पूर्णिमा" अंग-संग राम है । सेव्य भाव ही महान है।। जितना चाहे धन कमा लो शिक्षा धन महादान है ।। डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब 

रास्ते बन ही जाते हैं !

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  रास्ते बन ही जाते हैं ! पोस्ट संख्या -65 रास्ते बन ही जाते हैं !  मुश्किलें दूर हो ही जाती हैं!!  मगर वक्त जो गुजर जाता है , और उस गुजरे पल में जो लम्हें गुजरे हैं,  वे लम्हें बार-बार , उन्हीं मुश्किलों का जिक्र ब्याँ कर देते हैं! रास्ते बन ही जाते हैं.. हमेशा खुद को ढांढस देते हैं ! औरों को भी राह सुझाते हैं!!  मगर कुछ लोग ना सुधरते हैं,  न सुधरने देते हैं,  किसी की सकारात्मकता का,  बेबाक मज़ाक उड़ाते हैं ! रास्ते बन ही जाते हैं... अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं!  अधिकारों की बातें भी करते हैं!! न जाने क्यों फिर भी कुछ लोग , अपने फ़र्जों से कन्नी कतराते हैं , और दूसरों को बार-बार ताने देते हैं! रास्ते बन ही जाते हैं... ईश्वर के दर पर भटकते हैं ! पूजा-पाठ भी बहुत करते हैं!!  खुदा की बात क्या करें , खुदा के इंसानों को पल-पल सताते हैं ! रास्ते बन ही जाते हैं.... अच्छाई का हर पल डोंग पीटते हैं !  बुराई से कोसों दूर भागते हैं!!  खुद की फिक्र ना करते ,कहते हैं ऐसा "पूर्णिमा " मान - मर्यादा को सूली पर चढ़ाते हैं  रास्ते बन ही जाते...