रास्ते बन ही जाते हैं !

 रास्ते बन ही जाते हैं !


पोस्ट संख्या -65


रास्ते बन ही जाते हैं !

 मुश्किलें दूर हो ही जाती हैं!!

 मगर वक्त जो गुजर जाता है ,

और उस गुजरे पल में जो लम्हें गुजरे हैं,

 वे लम्हें बार-बार ,

उन्हीं मुश्किलों का जिक्र ब्याँ कर देते हैं!

रास्ते बन ही जाते हैं..

हमेशा खुद को ढांढस देते हैं !

औरों को भी राह सुझाते हैं!!

 मगर कुछ लोग ना सुधरते हैं,

 न सुधरने देते हैं,

 किसी की सकारात्मकता का,

 बेबाक मज़ाक उड़ाते हैं !

रास्ते बन ही जाते हैं...

अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं!

 अधिकारों की बातें भी करते हैं!!

न जाने क्यों फिर भी कुछ लोग ,

अपने फ़र्जों से कन्नी कतराते हैं ,

और दूसरों को बार-बार ताने देते हैं!

रास्ते बन ही जाते हैं...

ईश्वर के दर पर भटकते हैं !

पूजा-पाठ भी बहुत करते हैं!!

 खुदा की बात क्या करें ,

खुदा के इंसानों को पल-पल सताते हैं !

रास्ते बन ही जाते हैं....

अच्छाई का हर पल डोंग पीटते हैं !

 बुराई से कोसों दूर भागते हैं!!

 खुद की फिक्र ना करते ,कहते हैं ऐसा

"पूर्णिमा " मान - मर्यादा को सूली पर चढ़ाते हैं

 रास्ते बन ही जाते हैं...

डॉ.पूर्णिमा राय

हिंदी शिक्षिका एवं लेखिका

अमृतसर, पंजाब 

6/8/25

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