पोस्ट संख्या- 15 रूह का कोई दिवाना हो गया होता।
गज़ल-15 पोस्ट संख्या- 15
रूह का कोई दिवाना हो गया होता।
आज अपना ये जमाना हो गया होता।(1)
भूल जाते हर गिले औ' मिलते' जब यह दिल
खार में भी गुल सजाना हो गया होता।।(2)
राष्ट्र हित में झुकते जब सिजदे में हरेक सिर,
आह में भी मुस्कुराना हो गया होता।।(3)
धूप उतरी है सड़क पर पाँव भी नंगे,
छाँव का भी झिलमिलाना हो गया होता(4)
राह में मिलते मुसाफिर रोज़ ही लाखों,
खुशनुमा मंजिल पे' जाना हो गया होता।(5)
फूल पर भी गर्द दिखती आज उपवन में,
काश,काँटों का निशाना हो गया होता।।(6)
गम अँधेरे जिंदगी में छाये क्यों गहरे,
"पूर्णिमा" में जगमगाना हो गया होता(7)
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।
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