पोस्ट संख्या--16 प्यार एक बार नहीं क्यों बार-बार हो जाता है।

 गज़ल- 16 पोस्ट संख्या--16



प्यार एक बार नहीं क्यों बार-बार हो जाता है।

न चाहते हुए भी उनसे तकरार हो जाता है।। 

धूप की तपिश से भी जला न बदन कभी मेरा, 

तेरे तंज उलाहनों से मन तार-तार हो जाता है।। 

सदा ही साफ पाक नीयत से जो करते बातें, 

वही औरों की नज़र में कसूरवार हो जाता है।। 

हमेशा खुद को बेकसूर समझ लेते जो लोग, 

वे सही हैं,सही होंगें,उनको एतबार हो जाता है।। 

किस्मत पे नहीं अपने कर्मों पे कर गर्व 'पूर्णिमा'

निस्वार्थ सेव्य भाव से ईश्वर भी यार हो जाता है। 

डॉ.पूर्णिमा राय,पंजाब

10/6/23





Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण बनाम मानव जीवन

पोस्ट संख्या-49 हिंदी दिवस पर विशेष सृजन: डॉ.पूर्णिमा राय(2015-2023)

शिक्षा धन महादान है