पोस्ट संख्या- 22 तेरी आवारगी हमको सनम भाने लगी है।
गज़ल-22 पोस्ट संख्या- 22
तेरी आवारगी हमको सनम भाने लगी है।
मुहब्बत के तराने जिंदगी गाने लगी है।।
गगन में चाँद निकला यूँ लगा तुम मुस्कुराये,
खुमारी इस धरा पर आज फिर छाने लगी है।।
हवा ने रूख बदला जबसे तुमने मुंह मोड़ा ,
अधूरी बात तेरी याद अब आने लगी है।।
इबादत हो गई मेरी झलक तेरी जो पाई ,
सुकूं के इन पलों में जान अब जाने लगी है।।
नज़ाकत "पूर्णिमा "ने न दिखाई है कभी भी,
अमावस रात को भी संग में लाने लगी है।।
डॉ पूर्णिमा राय ,पंजाब
(23/6/18)
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