पोस्ट संख्या- 23 जनता को महज़ मलाल हो रहा है।
गज़ल- 23 पोस्ट संख्या- 23
जनता को महज़ मलाल हो रहा है।
भ्रष्टाचार का कमाल हो रहा है।।
बिकने लगे जमीर चंद सिक्कों में,
हर परिवार में बवाल हो रहा है।।
लूट रहे नेता दो-दो हाथों से,
सरेआम बकरा हलाल हो रहा है।।
परदे में सज रहे किरदार देखो,
हैवानियत में धमाल हो रहा है।।
सत्य की नस-नस तड़प रही जगत में,
झूठ हर पल बेमिसाल हो रहा है।।
इंसानियत को ओढ़ा हुआ जिसने ,
उसी मानव पर सवाल हो रहा है।।
कामचोर ,आलसी, निकम्मा है जो,
वो दिन-रात मालोमाल हो रहा है।।
खुशामद सज रही है ऊँचे पद पर,
विद्वान का इंतकाल हो रहा है।।
सलाम है देशप्रेम के जज्बे को
"पूर्णिमा" में गाल लाल हो रहा है।।
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।
(19/6/17)
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