पोस्ट संख्या- 24 आज दिल आशिकाना हुआ।
गज़ल- 24 पोस्ट संख्या- 24
आज दिल आशिकाना हुआ।
यार का आना-जाना हुआ।।(1)
साँवरे से मिले नैन जब,
रूह का भी ठिकाना हुआ।(2)
मोह माया करे तंग मन,
संग तन भी निशाना हुआ।(3)
उड़ रहे गेसुओं की महक,
से गगन भी दिवाना हुआ।(4)
भक्ति रस की बही धार जब
नाम सुमिरन खजाना हुआ।(5)
भूलकर इश्क की पीर अब,
दर-ब-दर दिल लगाना हुआ।(6)
स्वार्थ दौलत भरी जेब में,
बस अहम् का जमाना हुआ।।(7)
धूप उजली खिली साँझ भी
चाँद भी शायराना हुआ।।(8)
'पूर्णिमा" में दिखा चाँद यूँ,
रूप यौवन सुहाना हुआ।(9)
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।(29/4/17)
*****************************
Comments
Post a Comment