पोस्ट संख्या- 25 प्यार का रोग अब हम लगाते नहीं।
गज़ल- 25 पोस्ट संख्या- 25
प्यार का रोग अब हम लगाते नहीं।
लोग दिल से कभी दिल मिलाते नहीं।।
सीखने की रखें चाहतें आज सब,
पर मगर खुद अहम् को मिटाते नहीं।।
खूबसूरत हुई साँझ कहने लगी,
प्रेम दीपक घरों में जलाते नहीं।।
पाँव धरती पे टिकते नहीं आज हैं,
यह जमाने को हम क्यों बताते नहीं।।
जिन्दगी मेहमाँ चार दिन की मिली,
खुशनुमा इन लम्हों को सजाते नहीं।।
आरजू बस यही अब न कुछ चाहिये,
हर खुशी 'पूर्णिमा' में मनाते नहीं।।
डॉ.पूर्णिमा राय,पंजाब
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