पोस्ट संख्या- 27 सुंदर कोमल सपनों की बारात गुजर गई जानाँ।
गज़ल- 27 पोस्ट संख्या- 27
सुंदर कोमल सपनों की बारात गुजर गई जानाँ।
टिमटिमाते तारों वाली रात गुजर गई जानाँ।।
पत्थर दिल पिघला करते हैं अब ना देखे हमने,
फूल पँखुड़ी बूँद ओस सौगात गुजर गई जानाँ।।
वक्त कभी ना रहा एक सा सुख-दुख आते जाते,
साथ तुम्हारे दुक्ख की हर बात गुजर गई जानाँ।।
कसमें वादे भूल गया सब यौवन की मस्ती में ,
स्नेह प्रेम की लौ जगाती मात गुजर गई जानाँ।।
चँद सिक्कों की खातिर रिश्ते टूट "पूर्णिमा" जाते,
दिल से दिल की सच्ची मुलाकात गुजर गई जानाँ।।
डॉ.पूर्णिमा राय(3/4/17)
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