पोस्ट संख्या- 28 सुनना सदैव गरीब की आहों को।
गज़ल- 28 पोस्ट संख्या- 28
सुनना सदैव गरीब की आहों को।
फूल से सजा दो उसकी राहों को।।
मत आँख चुराना दीन को देखकर ,
करीब से मिलाओ इन निगाहों को।।
प्रेम पगा मन करता है इंतजार,
डालो गले में प्रेम से बाँहों को।।
लानत उनपर जो बेच रहे जमीर ,
मिले सजा जग में झूठे ग्वाहों को।।
प्राकृतिक संपदा का हो संरक्षण ,
बचायें "पूर्णिमा" बन्दरगाहों को।।
डॉ०पूर्णिमा राय,
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