पोस्ट संख्या- 31 क्यों दिलों से कभी दिल मिलाते नहीं।

 गज़ल- 31 पोस्ट संख्या- 31


क्यों दिलों से कभी दिल मिलाते नहीं।

लोग त्योहार मिल कर मनाते नहीं।।

शीत की रात में भी था' बेचैन मन;
वीर त्योहार पर घर क्यों' आते नहीं।।

झूम कर लहलहाये फसल खेत में;
क्यों किसानों की' मुश्किल मिटाते नहीं।।

खूबसूरत लम्हें गुम हुये प्यार के;
वैर नफरत को' मन से भगाते नहीं।।

हौंसलों की उड़ानें वही भर रहे;
वक्त के आगे' सिर जो झुकाते नहीं।।

ठोकरों से सजी है सदा जिन्दगी;
दुक्ख में नैन आँसू बहाते नहीं।।

अनकही बात दिल से कही" पूर्णिमा";
दोस्त अपना हमें क्यों बनाते नहीं।।

डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।14/1/17

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