पोस्ट संख्या- 34निर्धन के बच्चों को भिक्षा में मिठाई मिली।
गज़ल- 34 पोस्ट संख्या- 34
निर्धन के बच्चों को भिक्षा में मिठाई मिली।
शीत हवा में उनको सुन्दर सी रजाई मिली।।
बहुत खुश हुआ बालक खेल दिखाकर जादू का ;
दौर-ए- नोटबंदी में हक की कमाई मिली।।
बुजुर्ग को सड़क पार करवा के मिला सम्मान;
दुआ से भरी झोली नसीब में भलाई मिली।।
अन्धा बनके लूट रहा था जो राहजनों को;
छल-फरेब के बदले में उसको बुराई मिली।।
जीवन बिताया माँ बाप की सेवा में जिसने ;
शाम-ओ -सहर उसे माँ हाथ की मलाई मिली।।
हर क्षण अपना श्रम में लगाते हैं जो "पूर्णिमा "
वक्त की घड़ी से सजी उन्हीं की कलाई मिली।।
.डॉ.पूर्णिमा रायअमृतसर(पंजाब
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