पोस्ट संख्या- 40हँसमुख चेहरा,रूप नूरानी,प्यार भरी तेरी मुस्कानों का।
गज़ल- 40 पोस्ट संख्या- 40
हँसमुख चेहरा,रूप नूरानी,प्यार भरी तेरी मुस्कानों का।कर्ज चुकाया जा नहीं सकता,गुरुदेव तेरे एहसानों का।।
बिन तेरे अब मेरे सत्गुरु ,मेरे इस जीवन का मोल नहीं;
बिना रूह के प्राण अधूरे,तुम संग सजे मन अरमानों का।
रोम-रोम पुलकित हर जन का.प्रेम स्नेह की धन- दौलत बख्शी;
नहीं जगत में कोई अपना ,बिन तेरे हम जैसे बेगानों का।।
माटी की काया थी हमरी ,कंचन पारस तुम थे सत्गुरु;
भवसागर से पार उतारा,अनजान सफर हम अनजानों का
शरण "पूर्णिमा" सत्गुरु तेरी,अपने बचपन में ही आई है;
अपार अनंत असीम कृपा और आँगन सजा वरदानों का ।
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर(पंजाब),20/11/16
Comments
Post a Comment