पोस्ट संख्या-6 अजनबी सी थी यह जीवन डगर।

 गज़ल-6 पोस्ट संख्या-6



अजनबी सी थी यह जीवन डगर।

मिल गया आप जैसा इक हमसफर।।

लफ्ज़ खामोश हैं लब थिरकने लगे ,

कुछ न कह पाये मिलने लगी ये नज़र ।।

वक्त कटने लगा फिर पता न चला ,

कब बसा प्यार का ये सुन्दर नगर।।

अब तन्हाई का गम नहीं है हमें ,

रूह के मेल से खिलता मन शज़र।।

थाम कर हाथ चलना यूँ ही सदा,

'पूर्णिमा 'पे हुआ आपका ही असर।।


डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब 

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