पोस्ट संख्या- 9 प्यार ही बाँटती बेटियाँ।
गज़ल-9 पोस्ट संख्या- 9
प्यार ही बाँटती बेटियाँ।
साथ ही चाहती बेटियाँ।।
छाँव बनकर कड़ी धूप में
दुक्ख को टालती बेटियाँ।।
दौर मुश्किल का आये अगर
बाप सँग जागती बेटियाँ।।
जिन्दगी के सफर में सदा
धैर्य को पालती बेटियाँ।।
बोझ लगते न रिश्ते कभी
वक्त ही माँगती बेटियाँ।।
माँ गई ईश के घर में जब
बाल को पालती बेटियाँ।।
नाज़ उन पे रहे बाप को
वीर बन साजती बेटियाँ।।
मात बिन चैन पाये न मन
बाप को ताकती बेटियाँ।।
उम्र आढ़े न आये कभी
खुद का सुख वारती बेटियाँ।।
प्रीत की डोर कच्ची नहीं
"पूर्णिमा" भालती बेटियाँ।
डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब
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