बसंत ऋतु का आगमन


पोस्ट सँख्या-56 

बसंत ऋतु!!(दोहे)

वर दे वीणा वादिनी, सुखी बसे संसार!

बसंत ऋतु का आगमन,घर-घर में हो प्यार!!

ऋतु बसंत की कह रही,करो वैर को दूर।

प्रेम हवाएं बह रही, दिखता मुख पर नूर।

जीवन में खुशियाँ मिलें,आये जब मधुमास।

मुख पर बिखरेगी हँसी,करें हास- परिहास।।

शोभा सोहे बाग़ की,छिप जाती फिर धूल।

खिल जाते जब बाग़ में,रंग-बिरंगे फूल।।

चित्त भी पावन हो गया,आस जगी हर ओर।

फूल-फूल पर ओस है,नाचे मनवा मोर।।

डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब 

2/2/25


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