शुक्र करें हम ईश का
शुक्र करें हम ईश का(दोहे)
पोस्ट संख्या -61
शुक्र करें हम ईश का,रखें सभी का ध्यान ।
माटी की इस देह का, क्यों करना अभिमान।।
पंछी मांगें खैर ही,रखना उनका ध्यान।
गौ माता का भूलके,मत करना अपमान।।
मान मिले सम्मान भी,उत्तम हों गर बोल।
कर्कश वाणी शूल-सी ,मीठी है अनमोल।।
मरते पक्षी धूप से ,पानी की है भाल।
चुग्गा डालें प्यार से,जल का रखना थाल।।
सुबह हुई रजनी गई,सुन उद्यम का गान।
राही पथ पर बढ़ रहा, मंजिल है पहचान।।
सीख नयी दे सांझ भी,हिम्मत कभी न हार।
"पूर्णिमा" में शशांक भी, फैलाये उजियार।।
डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब
drpurnima01.dpr@gmail.com
7/6/25
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