कुछ रास्तों पर चलना !!(ग़ज़ल)
कुछ रास्तों पर चलना !!(ग़ज़ल)
पोस्ट संख्या-62
कुछ रास्तों पर चलना चाहे मुश्किल है ।
लेकिन हर मुश्किल में छिपा एक हल है।।
लोग मिलते हैं, करते हैं बातें हंसकर,
प्रेरक स्रोतों से खुशनुमा हुआ हर पल है।
जीना आज में और संवार लेना आज को,
हौंसलों की उड़ान से सँवरेगा फिर कल है।।
क्यों भविष्य की चिंता में डूबे आहत मन,
लहरों के कम्पन से सिंधु में न हलचल है।।
करें "पूर्णिमा" यही आस कि फैले समरसता
नशा-मुक्त विश्व की भावना को देना बल है।।
डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब
यह ग़ज़ल 5/7/25
लिखी है।
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